कोरोना की जांच के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने की नई तकनीक तैयार

कोरोना की जांच के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने की नई तकनीक तैयार

सेहतराग टीम

कोरोना पर भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। अभी दुनियाभर में जांच के लिए आरटी पीसीआर ही सबसे भरोसेमंद माना जाता जा रहा था, पर भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसमें वायरस का फैलाव कम समय व 40 फीसदी कम खर्च में पता लग सकता है। इसे सबसे तेज जांच बाताया जा रहा है।

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हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बॉयोलॉजी के वैज्ञानिकों ने आरएन जांच के लिए आरटी पीसीआर की मेडिफाइंड तकनीक का पता लगा लिया है। टीई बफर तकनीक से आरटी पीसीआर की जांच में आधा समय ही लगता है। अभी आरटी पीसीआर जांच के लिए 2 से 3 घंटे लग जाते हैं। सेंटर के निदेशक डॉं राकेशमिश्रा ने बाताया कि जानकारी आईसीएमआर को भेजी जाएगी, जिसके बाद आगे काम शुरु हो होगा।

हालांकि इसका इस्तेमाल व्यापक प्रसार का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। इसमें भी गले और नाक से स्वैब लेकर आरएनए परीक्षण किया जाता है।

सीएमआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर पांडे के मुताबिक, आठ से 10 दिन पर इस पर सटीक आकलन सामने आ जाएगा। एक साथ 40 से 50 हजार सैंपल की जांच हो सकती है।

40 मरीजों पर किया गया अध्ययन

तेलांगना के सिकंदराबाद स्थिति गांधी मेडिकल कॉलेज में 40 मरीजों के दो तरह से सैंपल लिए गए। नाक और गले से दो-दो बार सैंपल लेने के बाद 14 मरीजों के वीटीएम में 4 डिग्री तापमान, जबकि 26 मरीजों के सैंपल ड्राई तरीके से रखे गए। 14 में से 19 पॉजिटिव सैंपल मिले थे जबकि पांच निगेटिव मिले। आरटी पीसीआर के अलावा टीई बफर तकनीकि जांच में जल्दी संक्रमण की पुष्टि हुई।

घनी आबादी की जांच में कारगर: दिल्ली के आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक एक से डेढ़ सफ्ताह में प्रोजेक्ट पर फैसला लिया जा सकता है। इसमें दिल्ली या मुंबई जैसे शहर के घनी आबादी क्षेत्र में 50 हजार सैंपल लेकर वायरस के फैलाव का पता लगाना है तो हर सैंपल को बारकोड देते हुए टीई तकनीक से आरएन परीक्षण किया जा सकता है।

आरटी लैंप और फेलुदा भी सस्ती किट तैयार-

सीएसआईआर के अनुसार जांच को लेकर वैज्ञानिक नई किट पर काम कर रहे हैं। जम्मू के वैज्ञानिकों ने आरटी लैंप और दिल्ली में फेलुदा किट बनाई है। जो करीब 500 रूपये से कम में उपलब्ध होगी। टाटा और रिलायंस से किट्स के निर्माण को लेकर करार किया है। जल्द ही ये बाजार में उपलब्ध होंगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कोरोना वायरस जांच की कीमत 50 से 60 फीसदी कम हो सकती है।

 

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